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Hara Ghora|हरा घोड़ा: अकबर और बीरबल की कहानी Hurry Up!!!

Hara Ghora:  एक दिन बादशाह अकबर घोड़े पर बैठकर शाही बाग में घूम रहे थे।  साथ में बीरबल भी था।  चारों ओर हरे-भरे वृक्ष और हरी हरी घास देखकर अकबर को बहुत आनंद आया।  उन्हें लगा कि बगीचे में सैर करने के लिए तो घोड़ा भी हरे रंग का ही होना चाहिए। Story Ai

Hara Ghora|हरा घोड़ा:

 अकबर ने बीरबल से कहा- बीरबल, मुझे हरे रंग का घोड़ा चाहिए।  तुम मुझे 7 दिन के अंदर हरे रंग का घोड़ा लाकर दो।  यदि तुम हरे रंग का घोड़ा नहीं लाया तो हमें अपनी शक्ल मत दिखाना। 

 हरे रंग का घोड़ा तो होता ही नहीं है।  अकबर और बीरबल दोनों को यह मालूम था।  लेकिन अकबर को तो बीरबल की परीक्षा लेनी थी। 

 दरअसल, इस प्रकार के अटपटे सवाल करके वे चाहते थे कि बीरबल अपनी हार स्वीकार कर ले और कहे की जहांपनाह मैं हार गया। 

 मगर बीरबल भी अपने जैसे एक ही थे।  अकबर के हर सवाल का सटीक उत्तर देते थे, जिससे  बादशाह अकबर को मुंह की खानी पड़ती थी। 

 बीरबल हरे रंग की घोड़े की खोज के बहाने 7 दिन तक इधर-उधर घूमते रहे।  आठवें दिन में दरबार में हाजिर हुए और बादशाह से बोले,  जहां पनाह !  मुझे हरे रंग का घोड़ा मिल गया है।  बादशाह अकबर को आश्चर्य हुआ।  उन्होंने कहा, जल्दी बताओ, कहां है हर घोड़ा?

Hara Ghora

 बीरबल ने कहा-  जहांपनाह !  घोड़ा तो आपको मिल जाएगा,  मैं बड़ी मुश्किल से उसे खोजा है ,  मगर उसके मालिक ने दो शर्त रखी है। 

 बादशाह ने कहा-  क्या शर्तें  है बताओ?

 पहली शर्त तो यह है, कि घोड़ा लेने के लिए आपको स्वयं जाना होगा। 

 अकबर ने कहा-  यह शर्त तो बहुत आसान है, अब तुम दूसरी शर्त बताओ । 

 घोड़ा खास रंग का है ,इसलिए उसे लाने का दिन भी खास होगा।  उसका मालिक कहता है ,कि सप्ताह के 7 दिनों के अलावा किसी भी दिन आकर उसे ले जाओ । 

 अकबर बीरबल का मुंह देखने लगे,  उन्होंने कहा ,यह कैसी शर्ते हैं?

 बीरबल ने हंसते हुए कहा,  जहांपनाह !  हरे रंग का घोड़ा लाना हो,  तो उसकी शर्तें भी माननी ही पड़ेगी। 

 अकबर खिलखिला कर हंस पड़े।  बीरबल की चतुराई से वह खुश हुए।  अकबर समझ गए कि बीरबल को मूर्ख बनाना सरल नहीं है। Hara Ghora

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